प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना
कोई राधा
कोई बना मीरा कोई मुरलीवाला
जग की रही ये रीत सदा
किसी ने पिये अश्रु वियोगी
किसी ने पीया हाला
कोई झुमा बंसी की धुन पर
कोई बना मतवाला
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना
कोई राधा कोई बना मीरा कोई मुरलीवाला
सुशील मिश्रा “क्षितिज राज “