प्रेम का गीत ही, हर जुबान पर गाया जाए
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण, प्रेम में पिरोया जाए
दशों दिशाओं में, प्रेम और प्रेम ही परोसा जाए
इंसान और इंसानियत,हर हाल में संवारा जाए
नफरतों की आग को, दुनिया में बुझाया जाए
प्रेम का गीत ही,हर जुबान पर गाया जाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी