प्रेम कहानी थी बहुत पुरानी
प्रेम कहानी थी बहुत पुरानी
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प्रेम कहानी थी बहुत पुरानी
याद आई फिर उसकी जुबानी
भूल गए थे वो लम्हे पुराने
आने लगी थी जब नव जवानी
गृहस्थी में उलझे मधु तराने
याद आ गई थी हमको नानी
मोबाइल की घंटी बजने लगी
सुनी आवाज जानी पहचानी
मन में उमंगें तरंगें थी जागी
पहचाना उनको वो दिलजानी
बातें, मुलाकातें थी याद आई
यौवन में जो की थी नादानी
कुछ ना बदला वही प्रेम राहें
पहले रंग ढंग अदाएं मस्तानी
प्रेम नवीनीकरण मिला न्यौता
हलचल हुई थी मेरे जिस्मानी
मानवीय चित फूला न समाये
मन में चली थी बयार सुहानी
अंगप्रत्यंग भी प्रफुल्लित हुए
छाने लगी वही घटा बर्फानी
है पद, प्रतिष्ठा ,सम्मान,मर्यादा
नियंत्रित की थी उल्फत रवानी
प्रेम रजा कहीं बन जाए क़ज़ा
सजा दिलाए वो मजे में हानि
सुखविंन्द्र पूर्ण नियंत्रण पाया
समझाई बुझायी वो दीवानी
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)