प्रीत तुझसे एैसी जुड़ी कि
प्रीत तुझसे एैसी जुड़ी कि
उमंग का मन में डेरा है ,
मन के भावों को आज फिर
मैंने कागज पर उड़ेला है ,
रूबरू ना हो पाऊं सुनाने मन की
कागज-कलम से शब्दों का रेला है ,
रुह को छुआ था इस दिवस पर
बस प्यारा सा एहसास दे रहा है
मिलते हैं अनेक जीवन के सफर में
सुन कर आज मधुरस्वर यादों ने घेरा है ,
खुशी एक चीज ऐसी है मिल जाए
जब तो जीवन में सेहरा है ,
तमन्ना यहीं मन में एक यह भी
न जाने जीवनडोर का कितना जेला है,
खुशियों के चार चांद लग जाऐगे
बस एकबार देखना तेरा चेहरा है ।
सफर यूं मीठी यादों चलता रहेगा
आगे बढ़ो तुम यही मन दुआ दे रहा है,
नेह धागों में पिरों रखा है वह पल मैनै
उसमें ना जाने क्यूं? अपनापन ठहरा है।
नूं तो मैं मस्त हूं अपनी प्यारी गृहस्थी में
प्यार, अपनत्व का सुनहरा सवेरा है,
पन्ना खोलते नहीं अपनी किताब का
प्रीत जुड़ी अटूट कि ,,
आंखों से अश्क अभी तक बह रहा है।
-सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान