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8 Apr 2024 · 1 min read

प्रीतम दोहावली

परिवर्तन स्वीकार कर, काल चाल परिणाम।
खट्टा-मीठा जो मिले, समझ समय पैग़ाम।।//1

भूतकाल से सीखिए, आशा भविष्य काल।
वर्तमान विश्वास का, उचित यही सुरताल।।//2

नेक कथन उर्जा भरे, मिटा हृदय का पाप।
दीप जले हो रोशनी, दूर करे संताप।।//3

किससे बढ़कर कौन है, उत्तर देगा वक़्त।
बड़े बोल तुम बोलकर, कम करते तन रक्त।।//4

राजनीति में सब रचें, विजय भरे षड्यंत्र।
सोच बढे जो देशहित, सौंपो उसको तंत्र।।//5

सुखी नहीं संसार में, जिसके चलते साँस।
पतझड़ से लाचार है, सच में हर मधुमास।।//6

प्रीतम तेरे प्रेम का, होता है सत्कार।
तभी हमेशा ही रहे, ख़ुशी आपके द्वार।।//7

आर. एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
1 Like · 26 Views
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