प्रिय किताब
मैं शुक्रगुजार हूं आपकी तरफ मैने हाथ बढ़ाएं
मैंने हाथो के सहारे गगन को छू लिया
मैंने अपने पुरखों का इतिहास पढ़ा
मन में बहुत सारे विचारो का अंधकार
तुम्हारे ही माध्यम से प्रकाशमान हो गया
गुमनाम जिंदगी उकेरी गई तुम्हारे माध्यम से
मेरी नजरों के सामने आपके द्वारा स्पष्ट हो गई
आपसे प्रज्वलित प्रकाशमान ज्ञान के द्वारा
मेरे अंदर अंधकार मिट गया
मै ज्ञानी हो गया मेरा जीवन संवर गया
सिर्फ आप में निहित ज्ञान से