प्राप्ति
मिला है वो जिसकी थी तलाश
सदियों से या कई जन्मों से
वो वोधि ज्ञान या कैवल्य
तत्व ज्ञान या अध्यात्म
पा लिया मैंने सर सृष्टि का
पा लिया एहसास मैंने तृप्ति का
जिसके लिए था हृदय व्याकुल
और व्यथित थे नैन
मिला है अभिराम
हृदय को भी विराम
शेष अभी हैं उद्देश्य जन्म के
रहस्य भी सुलझ रहे
जन्म जन्मान्तर के
कर्म अकर्म और दुष्कर्म
गीता का क्या धर्म
अब नहीं है परे कर्तव्य वोध
नहीं है भय जीवन का
न ही डर अब मरण का
पूर्ण हुआ जीवन
पाकर तेरे दर्शन सम्पूर्ण आकांक्षा
शेष नहीं अब इच्छा
तेरा आशीष भरा वरद हस्त
स्नेह भरा आलिंगन
नहीं कल्पना मात्र किंचन
मेरे जीवन की है निधि
अमूल्य उपलब्धि
तुम्हरी अनुभूति हर पल हर घड़ी
यही प्राप्ति विधा और विधि ……………………..
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