प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद
अभी-अभी
ताजी-ताजी भोर हुई है
और गुलाब की पंखुड़ियां
शबनम की बूंदों में नहा कर जागी हैं
तो ऐसे में मतवाली बयार के शीतल झोंके
गुलमोहर को गुदगुदा रहे हैं
अभी-अभी
सुबह की आहट से
मीठी नींद से दिनकर जागा है
और उसकी सुनहरी किरणों की आभा से
वसुंधरा भी आनंदित हो रही है
और कोयल गुनगुना रही है
अभी-अभी
हिमालय की चौखट पर
सुबह ने चुपके से दस्तक दी है
और ठंडे झरने पहाड़ों से नीचे बहते हैं
तो चेहरे पर दिव्य मुस्कान लाते हुए
मानव सुंदर दृश्य का आनंद ले रहा है
अभी-अभी
जब उतावले सीगल उड़ रहे हैं
नीले समुद्र के ऊपर
और उनके फुसफुसाते शब्द
आसमान को छूने का प्रयास करते हैं
तो लहरें प्रकृति का आनंद लेती हैं
अभी-अभी
जब अलसाई सांझ ढलती है
और सूरज क्षितिज की बाहों में समाता है
तो छटपटा कर काली रात
गहरी नींद से जागती है
और चांद तारे इसका आनंद लेते हैं
अभी-अभी
जब बादल उमड़ घुमड़ रहे हैं
और अषाढ़ झमाझम बरसता है
बरसात की रिमझिम बूंदे
सजना के रेशमी गालों से फिसल कर
उसके अधरों का रसपान कर रही है