प्रथम स्पर्श
आसमान के तले
जब हम चाँद संग चले
ख़्वाबो सा था वो शमाँ
जब तेरी आँखों के
स्पर्श में मुझे छुआ
हाय मैं सिहर गई
छुई मुई सी सिमट गई।।
जब बाते करते करते
अपनी अदाओं से
मेरे दिल को जब किया
प्रथम स्पर्श
हाय ,
होगई मैं अबोध बालक सी
और बस तुम्हे तकती रही
और तुम बच्चो से मासूम
अपनी ही धुन में बोलते रहे।
साथ चलते चलते
जब पहली बार
तुमने मेरे हाँथों को
अपने हाँथों में ले किया
इज़हारे इश्क़
कैसे लिखू उस प्रथम स्पर्श को
कैसे लिख लूँ