प्रथम शैलपुत्री
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वासंतिक
नव रात्र नव संवत्सर नव चेतना
जागृति अनुभूति आचरण व्यवहार माईया का आगमन खास।।
जग तेरी संतान जगत जीवन मईया तेरा उपकार मईया जीवन हर पल तेरे वात्सल्य का जीवन आशीर्वाद खास।।
जगत कि पालन हारी क्लेश कष्ट निवारक के जगत स्नेह नेह से निहाल मईया नव रात ।।
जग जननी जग कल्याणी प्रथम दिवस पर्वत कि वाला दक्ष कि सुता सती पार्वती पद्म प्रतिष्ठित देवो कि शक्ति देवी शैलपुत्री प्रथम
दिवस वास ।।
कलश स्थापना विधि विधान से आराधना नव वर्ष नव संवत्सर शुख सबृद्धि आगमन अनुभूति भाव उत्सव का उत्साह ।।
ब्रह्ममुहुर्त कि बेला में निद्रा से जग जाता ब्रह्माण्ड घण्टे घड़ियालों बजते घर घर तेरा मन्दिर तेरा श्रृंगार अर्घ अराधन मईया का गुणगान।।
नंद लाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश