Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2021 · 1 min read

प्रतिध्वनि

भलाई करते चलो

सब लौट आएगी

प्रतिध्वनि की तरह…

– आनंदश्री

Language: Hindi
404 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शब-ए-सुखन भी ज़रूरी है,
शब-ए-सुखन भी ज़रूरी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन तो करता है मनमानी
मन तो करता है मनमानी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"आज के दौर में"
Dr. Kishan tandon kranti
बाल कविता: मदारी का खेल
बाल कविता: मदारी का खेल
Rajesh Kumar Arjun
वो बस सपने दिखाए जा रहे हैं।
वो बस सपने दिखाए जा रहे हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
आपकी आहुति और देशहित
आपकी आहुति और देशहित
Mahender Singh
Reliable Movers and Packers in Hyderabad
Reliable Movers and Packers in Hyderabad
Shiftme
*सुबह हुई तो गए काम पर, जब लौटे तो रात थी (गीत)*
*सुबह हुई तो गए काम पर, जब लौटे तो रात थी (गीत)*
Ravi Prakash
पिंड दान
पिंड दान
Shashi Mahajan
सच तो आज न हम न तुम हो
सच तो आज न हम न तुम हो
Neeraj Agarwal
अतीत का बारे में जानें तीन महत्व पूर्ण बातें
अतीत का बारे में जानें तीन महत्व पूर्ण बातें
Dr. Rajeev Jain
यादो की चिलमन
यादो की चिलमन
Sandeep Pande
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
Buddha Prakash
भावनात्मक निर्भरता
भावनात्मक निर्भरता
Davina Amar Thakral
■ आज का सवाल
■ आज का सवाल
*प्रणय*
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
Ranjeet kumar patre
मीडिया, सोशल मीडिया से दूरी
मीडिया, सोशल मीडिया से दूरी
Sonam Puneet Dubey
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
प्रेमदास वसु सुरेखा
चुनाव के दौर से (नील पदम् के दोहे)
चुनाव के दौर से (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
सरसी छंद और विधाएं
सरसी छंद और विधाएं
Subhash Singhai
आज बाजार बन्द है
आज बाजार बन्द है
gurudeenverma198
छू कर तेरे दिल को, ये एहसास हुआ है,
छू कर तेरे दिल को, ये एहसास हुआ है,
Rituraj shivem verma
राना लिधौरी के बुंदेली दोहे बिषय-खिलकट (झिक्की)
राना लिधौरी के बुंदेली दोहे बिषय-खिलकट (झिक्की)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जब प्रेम की परिणति में
जब प्रेम की परिणति में
Shweta Soni
आ लिख दूँ
आ लिख दूँ
हिमांशु Kulshrestha
हुस्न वाले उलझे रहे हुस्न में ही
हुस्न वाले उलझे रहे हुस्न में ही
Pankaj Bindas
देशभक्ति
देशभक्ति
पंकज कुमार कर्ण
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
डी. के. निवातिया
4464.*पूर्णिका*
4464.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...