Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2020 · 1 min read

प्रकृति

जिन पांच तत्वों से बने हम उनकी ही बेकद्री करते हैं,
कहने को तो है बहुत समझदार हम पर बेबकुफी बड़ी करते हैं,
जिस विकास की खातिर हम प्रकृति को हानि पहुंचाते हैं,
उसी विकास से दूर हम सुकून के लिए प्रकृति की गोद ढूंढ़ते हैं,
जिस प्रकृति को पूजते हम व्रत अनुष्ठान के कामों में,
क्यूं उसी प्रकृति को पैरों की धूल समझ हम रोंदते हैं,
पूरे जीवन चक्र में जो इस जहां का अहम हिस्सा बनती है,
उसी को अपने अहम की खातिर हम दर्द बेहिसाब देते हैं,
नीला आसमां घने जंगल और वादियों को टीवी पर देख जो खुश बड़े होते हैं,
प्रकृति की उसी सुंदरता को सहेजने की अपेक्षा हम बर्बाद कर देते हैं,
चांद की चांदनी में प्रकृति की तस्वीर को जो दिलों और कैमरों में कैद करते हैं,
उसी तस्वीरों को हम अपनी तृष्णा के खातिर बर्बाद करते हैं,
इतनी बेकद्री करने पर भी हम इससे सिर्फ अच्छे की उम्मीद करते हैं,
लेती बदला जब वो हमसे तब भी खुद को नहीं उसी को दोष देते हैं,
हर आपदा प्रकृति की चेतावनी हमारे लिए लाती है,
शायद अब संभल जाए हम वो यही उम्मीद करती हैं,
उम्मीद टूटती हर बार उसकी जब उसके अंश को ही हम तड़पाते हैं,
जानवर हो या हो वो जंगल सिर्फ दोहन करना ही तो हम जानते हैं,
अधिकार जताते उस पर ऐसे जैसे अपने हर फ़र्ज़ को हम शिद्दत से निभाते हैं,
सींचते हम एक पौधे को भी नहीं पर उससे ठंडी छाव की आस रखते हैं

Language: Hindi
2 Likes · 6 Comments · 457 Views

You may also like these posts

*~पहाड़ और नदी~*
*~पहाड़ और नदी~*
Priyank Upadhyay
We just dream to  be rich
We just dream to be rich
Bhupendra Rawat
आज मिला रजनीश को, विभावरी का प्यार ।
आज मिला रजनीश को, विभावरी का प्यार ।
sushil sarna
सियासत नहीं रही अब शरीफों का काम ।
सियासत नहीं रही अब शरीफों का काम ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
हमारी समस्या का समाधान केवल हमारे पास हैl
हमारी समस्या का समाधान केवल हमारे पास हैl
Ranjeet kumar patre
फिर कब आएगी ...........
फिर कब आएगी ...........
SATPAL CHAUHAN
" राजनीति के रक्तबीज "
Pushpraj Anant
-कोई और ना मिला -
-कोई और ना मिला -
bharat gehlot
सियासत
सियासत
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
बावरे नैना
बावरे नैना
ललकार भारद्वाज
ख़ुद से सवाल
ख़ुद से सवाल
Kirtika Namdev
तितली
तितली
Mansi Kadam
*चरण पादुका भरत उठाए (कुछ चौपाइयॉं)*
*चरण पादुका भरत उठाए (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
अमिट सत्य
अमिट सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
" अहसास "
Dr. Kishan tandon kranti
*पलटूराम*
*पलटूराम*
Dushyant Kumar
आज़ाद ग़ज़ल
आज़ाद ग़ज़ल
Ahtesham Ahmad
कुछ लोगो के लिए आप महत्वपूर्ण नही है
कुछ लोगो के लिए आप महत्वपूर्ण नही है
पूर्वार्थ
सूझ बूझ
सूझ बूझ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"प्रेम"
राकेश चौरसिया
स्वाधीनता दिवस
स्वाधीनता दिवस
Kavita Chouhan
*** चंद्रयान-३ : चांद की सतह पर....! ***
*** चंद्रयान-३ : चांद की सतह पर....! ***
VEDANTA PATEL
आँखें
आँखें
Kshma Urmila
"विश्वास की शक्ति" (The Power of Belief):
Dhananjay Kumar
शिवजी चले हैं ससुराल
शिवजी चले हैं ससुराल
D.N. Jha
खुशियों से भी चेहरे नम होते है।
खुशियों से भी चेहरे नम होते है।
Taj Mohammad
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
3236.*पूर्णिका*
3236.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मनुष्य को
मनुष्य को
ओंकार मिश्र
Loading...