Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2016 · 1 min read

प्रकृति

मुक्तक
वृक्ष नम्रता -त्याग सिखाता, नदियाँ देना सिखलाती।
द्युति किरणें दुख रूपी तम, को हर लेना सिखलाती।
बूंद बूंद को जोड मेघ सम, बरसाते जल को सबमें।
गतिशील प्रकृति कुदरत की भी , जीवन खेना सिखलाती।
अंकित शर्मा’ इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)

Language: Hindi
491 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
View all
You may also like:
ایک سفر مجھ میں رواں ہے کب سے
ایک سفر مجھ میں رواں ہے کب سے
Simmy Hasan
इंसान में नैतिकता
इंसान में नैतिकता
Dr fauzia Naseem shad
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बाल नहीं खुले तो जुल्फ कह गयी।
बाल नहीं खुले तो जुल्फ कह गयी।
Anil chobisa
तरुण
तरुण
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मैं इश्क़ की बातें ना भी करूं फ़िर भी वो इश्क़ ही समझती है
मैं इश्क़ की बातें ना भी करूं फ़िर भी वो इश्क़ ही समझती है
Nilesh Premyogi
अरमान
अरमान
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*मजा हार में आता (बाल कविता)*
*मजा हार में आता (बाल कविता)*
Ravi Prakash
शब्द वाणी
शब्द वाणी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
"थामता है मिरी उंगली मेरा माज़ी जब भी।
*Author प्रणय प्रभात*
सजाता कौन
सजाता कौन
surenderpal vaidya
नेता खाते हैं देशी घी
नेता खाते हैं देशी घी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
2316.पूर्णिका
2316.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
वो क्या देंगे साथ है,
वो क्या देंगे साथ है,
sushil sarna
नवजात बहू (लघुकथा)
नवजात बहू (लघुकथा)
दुष्यन्त 'बाबा'
खुशी की खुशी
खुशी की खुशी
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
मुझे भी बतला दो कोई जरा लकीरों को पढ़ने वालों
मुझे भी बतला दो कोई जरा लकीरों को पढ़ने वालों
VINOD CHAUHAN
इंसान ऐसा ही होता है
इंसान ऐसा ही होता है
Mamta Singh Devaa
मोहब्बत की दुकान और तेल की पकवान हमेशा ही हानिकारक होती है l
मोहब्बत की दुकान और तेल की पकवान हमेशा ही हानिकारक होती है l
Ashish shukla
भाव  पौध  जब मन में उपजे,  शब्द पिटारा  मिल जाए।
भाव पौध जब मन में उपजे, शब्द पिटारा मिल जाए।
शिल्पी सिंह बघेल
मेरी बेटी है, मेरा वारिस।
मेरी बेटी है, मेरा वारिस।
लक्ष्मी सिंह
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े  रखता है या
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े रखता है या
Utkarsh Dubey “Kokil”
मूर्ख बनाने की ओर ।
मूर्ख बनाने की ओर ।
Buddha Prakash
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
चाँद से मुलाकात
चाँद से मुलाकात
Kanchan Khanna
यादें
यादें
Johnny Ahmed 'क़ैस'
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
Ravikesh Jha
"लोग क्या कहेंगे" सोच कर हताश मत होइए,
Radhakishan R. Mundhra
शिकायत है हमें लेकिन शिकायत कर नहीं सकते।
शिकायत है हमें लेकिन शिकायत कर नहीं सकते।
Neelam Sharma
Loading...