Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2023 · 1 min read

प्रकृति बचाओ

प्रकृति बचाओ (कविता)

रक्त अश्रु बहा प्रकृति करे ये रुदन
नहीं ध्वस्त करो मेरा कोमल बदन
वृक्ष पवन जल तुमसे छिन जाएँगे
प्रदूषित धरा पर जन क्या पाएँगे?

कुपोषित नदी कूड़ेदान बनी हैं
पतित पावनी आज मैली हुई है
कहे त्रस्त धरती मुझे ना रुलाओ
प्रदूषण हटा मनुज जीवन बचाओ।

इस बंजर धरा पर खग नीड खोए
पत्र पुष्प विहीन सघन पेड़ रोए
हुआ स्याह चेहरा आँसू बहाए
प्रदूषित धरा कैसे प्रकृति बचाए?

ज्वलित चिमनियों से हवा घुट रही है
प्रदूषित धुएँ से वायु लुट रही है
विटप लगाकर बाग उपवन सजाओ
जीवनदायिनी स्वच्छ वायु बचाओ।

प्रदूषण मिटा वन महोत्सव मनाओ
धरा को हरिताभ चुनरी ओढ़ाओ
तृषित शुष्क अवनी की प्यास बुझाओ
तजो स्वार्थ सब मिलके वृक्ष लगाओ।

प्रकृति ने दिए सुखद समृद्ध उपहार
दानव मनुज लूटे माँ का श्रृंगार
पर्यावरण प्रदूषित कर्म छोड़ के
संरक्षण करें नई राह जोड़ के।।

स्वरचित/मौलिक
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी (उ. प्र.)

मैं डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना” यह प्रमाणित करती हूँ कि” प्रकृति बचाओ” कविता मेरा स्वरचित मौलिक सृजन है। इसके लिए मैं हर तरह से प्रतिबद्ध हूँ।

Language: Hindi
250 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
एक छोटी सी आश मेरे....!
एक छोटी सी आश मेरे....!
VEDANTA PATEL
भुला बैठे हैं अब ,तक़दीर  के ज़ालिम थपेड़ों को,
भुला बैठे हैं अब ,तक़दीर के ज़ालिम थपेड़ों को,
Neelofar Khan
कार्तिक पूर्णिमा  की शाम भगवान शिव की पावन नगरी काशी  की दिव
कार्तिक पूर्णिमा की शाम भगवान शिव की पावन नगरी काशी की दिव
Shashi kala vyas
समय ही तो हमारा जीवन हैं।
समय ही तो हमारा जीवन हैं।
Neeraj Agarwal
तुम रूबरू भी
तुम रूबरू भी
हिमांशु Kulshrestha
ये ज़िंदगी डराती है, डरते नहीं हैं...
ये ज़िंदगी डराती है, डरते नहीं हैं...
Ajit Kumar "Karn"
शहीदों को नमन
शहीदों को नमन
Dinesh Kumar Gangwar
🙅ताज्जुब कैसा?🙅
🙅ताज्जुब कैसा?🙅
*प्रणय*
"जिम्मेदारियाँ "
Dr. Kishan tandon kranti
डर डर जीना बंद परिंदे..!
डर डर जीना बंद परिंदे..!
पंकज परिंदा
घर कही, नौकरी कही, अपने कही, सपने कही !
घर कही, नौकरी कही, अपने कही, सपने कही !
Ranjeet kumar patre
प्यार समर्पण माँगता,
प्यार समर्पण माँगता,
sushil sarna
स्वतंत्रता आन्दोलन में महिलाओं का योगदान
स्वतंत्रता आन्दोलन में महिलाओं का योगदान
Dr.Pratibha Prakash
कभी शिद्दत से गर्मी, कभी बारिश की फुहारें ,
कभी शिद्दत से गर्मी, कभी बारिश की फुहारें ,
पूर्वार्थ
बहके जो कोई तो संभाल लेना
बहके जो कोई तो संभाल लेना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*शंकर जी (बाल कविता)*
*शंकर जी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
हिन्दी मन की पावन गंगा
हिन्दी मन की पावन गंगा
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
हाँ ये सच है
हाँ ये सच है
Saraswati Bajpai
ENDLESS THEME
ENDLESS THEME
Satees Gond
उनका शौक़ हैं मोहब्बत के अल्फ़ाज़ पढ़ना !
उनका शौक़ हैं मोहब्बत के अल्फ़ाज़ पढ़ना !
शेखर सिंह
4025.💐 *पूर्णिका* 💐
4025.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बचपन मिलता दुबारा🙏
बचपन मिलता दुबारा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ग़ज़ल
ग़ज़ल
कवि रमेशराज
मैं जिन्दगी में
मैं जिन्दगी में
Swami Ganganiya
*दीवाली मनाएंगे*
*दीवाली मनाएंगे*
Seema gupta,Alwar
मुझे छूकर मौत करीब से गुजरी है...
मुझे छूकर मौत करीब से गुजरी है...
राहुल रायकवार जज़्बाती
तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे
तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे
gurudeenverma198
“ख़ामोश सा मेरे मन का शहर,
“ख़ामोश सा मेरे मन का शहर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नयी नवेली
नयी नवेली
Ritu Asooja
प्रेम मे डुबी दो रुहएं
प्रेम मे डुबी दो रुहएं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
Loading...