प्रकृति बचाओ
प्रकृति से कब पत्थर भगवान हो गये ,
पेड पौधे पूजने वाले मूर्ख और
पत्थर पीर पूजने वाले महान हो गये ।
प्रकृति की चिंता सबको है
और सभी प्रकृति को हानि पहुँचाने वाले शैतान हो गये ।।
घर से जायेगें जनाब़ खाली हाथ
फिर बाहर से पॉलिथीन लाओगे,
जब खुद नही बदल सकते तो
दूसरों को कैसे बदल पाओगे ।।
बहुत कर दिया बर्बाद पानी
बंद करो अब ये नादानी
कब तक युं ही चलेगा
अब बदलनी होगी ये कहानी ,
कोई जो अब प्रकृति को हानि पहुँचायेगा ,
अब वो चैन से ना रह पायेगा ।
सबक अब ये सबको सीखाना है
सलीका जीने का सीखाना है,
कुछ नही होता मेरे अकेले के करने से
ये भ्रम लोगो के दिमाग से मिटाना है।
अब तो सब परेशान हो गये ।।
पेड पौधे पूजने वाले मूर्ख और पत्थर पीर पूजने वाले महान हो गये।।
©नितिन पंडित