प्रकृति पर कविता
प्रकृति की अनूठी सुंदरता, देवी की अपार काया,
सृष्टि का रहस्यमयी नाट्य, है सर्वश्रेष्ठ अभिनय।
पहाड़ों की मधुर चट्टानें, उच्च स्थानों की गरिमा,
नदियों की सुरमई लहरें, हरा-भरा महाशान्ति का चित्र रचती हैं।
वनों की घनी छाँव, पक्षियों की मधुर चहचहाहट,
फूलों की मनमोहक सुगंध, जीवन को अमृत से भरती हैं।
प्राकृतिक रंगों का खजाना, हरिताभ और नीलमणि,
मानव मन को संतुष्ट करके, खुद को सदैव नवीन बनाती हैं।
प्रकृति की सुंदरता को देख, अंतरंग शांति मिलती है,
विचारों की पढ़ाई करते हुए, जीवन को स्वर्णिम बनाती हैं।
हवा की सुनहरी मस्ती, सूर्य की प्रेम-उदय,
जीवन की समझ को देते हैं, उनके मंत्र सदैव उचित गुणगान।
प्रकृति माता की दी हुई, यह अनमोल विरासत,
हमें संरक्षण करना चाहिए, इसे प्यार और सम्मान से भरना चाहिए।
आओ, प्रकृति को संगठित करें, सुंदरता को बढ़ाएं,
अपने पापों से प्रकृति को बचाएं,
नवजीवन को विकसित करें।
प्रकृति पर यह सुरमयी कविता, हमारी प्रेम भरी नजर,
बचाएं प्रकृति, बचाएं माता, इस पृथ्वी का बनाएं हम सदैव नवयुगर।