प्रकृति की प्रवृत्ति
प्रकृति की प्रवृत्ति है निरंतर बढ़ते रहना
धरा पे हो अनुचित प्रवृत्ति सब सहते रहना
सब बच्चों को प्यार स्नेह वो देती है
सबका बोझ उठाती है माता वो कहलाती है
करती नहीं है वो किसी में भेदभाव
सबको एकसमान हवा देना है स्वभाव
प्रकृति हमें सब कुछ निरंतर देती रहती
लेती ना हमसे कुछ फल-फूल सब देती रहती
सूर्य चन्द्रमा देते प्रकाश तारे भी टिमटिमाते हैं
हवा हो या हो बरसात सभी अपना योगदान देते हैं
दया,क्षमा वो रखती है परोपकार सबपे करती है
पेड़ शीतलता देती राहगीरों की थकान हरती है
नदी अम्बर और पेड़ पौधे ईश्वर ने क्या खूब बनाया
चिड़ियों की चहचाहट से धरा को सुरमय बनाया
ममता रानी