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4 Feb 2021 · 1 min read

प्यासे हैं दो नैन

छाई रे घटा घनघोर, आए नजर न भोर
रे मन छाई रे घटा घनघोर
काम क्रोध मद लोभ मोह की, बला बड़ी चितचोर
रे मन छाई रे घटा घनघोर
घनी है मन की रेन अंधेरी, मनवा है बेचैन
अंतस की है ताप घनेरी, प्यासे हैं दो नैन
किसको अपना दर्द बताऊं, नहीं ओर न छोर
रे मन छाई रे घटा घनघोर
जनम जनम से भटक रहा हूं, पायो नहीं मैं ठौर
मोह निशा को आन हरो, सबल करो मन मोर
रे मन छाई ये घटा घनघोर
श्याम पिया जल्दी आ जाओ, करो न देरी और
रे मन छाई रे घटा घनघोर

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
12 Likes · 10 Comments · 282 Views
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