प्यार देता है मुझे फिर भी वोह कम देता है
प्यार देता है मुझे फिर भी वह कम देता है।
खुशी भी देता है पर रंजो अलम देता है।
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वह सिर्फ मेरा है, हमको यह यकीं भी है।
मगर जब मिलता है वह मुझको कसम देता है।
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नादान दोस्त से दुश्मन ही मेरा अच्छा है।
दगा तो करता है तकलीफ तो कम देता है।
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मर्तबा किस तरह बतलाऊं मैं उस्तादों का।
असलहा छीनकर हाथों में कलम देता है।
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सड़क पर एक दिन मजदूर उतर आएंगे।
सगीर भूख बगावत का अलम देता है।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच