प्यार की बरसात
***** प्यार की बरसात (ग़ज़ल) *****
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आई प्यार की नई बरसात है अभी,
मिल हमको गई अजब सौगात है अभी।
वो रूठे हुए सनम थे जब न मानते,
होने अब लगी सजन से बात है अभी।
अंधेरा बना रहा है खूब राह में बहुत,
चमके चाँदनी भरी ये रात है अभी।
मुझको बुला रही कब से खड़ी वहीं,
तारों से सजी हुई बारात है अभी।
देखे ख्वाब यार मनसीरत सदा यहाँ,
लगता प्रेम की हुई शुरुआत है अभी।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)