प्यार का ऐसा सर संधान रे
प्यार का ऐसा सर संधान
बीज नष्ट नफरत का हो
सुरभित हो सकल जहांन
मिट जाए आतंक जगत से
हिंसा और अज्ञान
प्यार का ऐसा सर संधान
प्रेम पले नफरत घटे
हो मानवता का गान
हर दिल मैं उजियारा हो
इंसान समय पहचान
प्यार का ऐसा दो पैगाम
न जाति धर्म के झगड़े हो
न मरे कोई इंसान
प्यार का ऐसा सर संधान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी