प्यारी दादी
दादी अपने आप में ही मन को सुकून पहुंचाने वाला शब्द हैं जिसके बिना जीवन अधूरा सा लगता हैं बच्चें बोलते नही पर उनके बिना बोले भी दादी उनके रोने या उदासी का कारण जान जाती हैं और बच्चों को बहलाकर किस तरह चुप कराना हैं उसमें हमेशा ही निपूर्ण होती है दादी अगर घर के किसी भी सदस्य का स्वास्थ्य ठीक ना हों तो उनकी देखभाल में कई रातें बिना सोएं गुजार देती है सच में दादी के जैसा प्यार दुलार और वात्सल्य की भावना कही नही हो सकती बच्चें के बुरे काम करने पर उन्हें समझाती भी दादी ही गुरु की तरह हैं।
दादी वो जो हमारी प्राचीन परम्परा को सुरक्षित रखने और उसे पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं चाहे कोई भी अवसर हो जैसे- शादी हो, नए बच्चें का जन्म हों, या चोटी से छोटी गाड़ी ही क्यों ना खरीदें इन सब अवसरों पर हर रश्म पर दादी ही नज़र रखती हैं चाहें वो नारियल तोड़ने की बात क्यों ना हों।
अब रिश्ते नाते और घर आए मेहमान का सत्कार करने में भी दादी पहले नंबर पर होती है मेहमान के आने पर चाय नाश्ता लाओ ऐसा दादी ही बोलती हैं घर वाले किसी भी के परिवार के सदस्य हो सबको समान तरीके से सम्मान देती है और कभी भी ऊंच नीच की बातें नहीं सिखाती हैं ये होती हैं दादी।
अब अपने बेटे या परिवार के किसी भी सदस्य की सफलता के लिऐ हमेशा निस्वार्थ भाव से भगवान से हमेशा ही प्रार्थना करती हैं कभी भी दादी के मन में बेटों के लिए गलत भाव नहीं होता की ये आगे ना बढ़ पाए वो हमेशा चाहती हैं की मेरा बेटा सबसे सफल बने और बेटे की सफलता में बेटे से ज्यादा खुशी दादी को ही होती है दूसरे शब्दों में दादी ही घर का केंद्र होती हैं जिसके हाथ में घर की पूरी जिम्मेदारी होती हैं दादी ही बच्चों को दुनिया में रहने के लिऐ तौर तरीके सिखाती हैं।
लेकिन हमेशा एक बात का दुःख होता हैं की इतना करने के बाद भी दादी को उनका सम्मान नहीं मिलता या क्यों और कैसे बच्चें उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं ये बात समझ के बाहर हैं। क्योंकि जब तक दादी काम करने लायक हैं ठीक लेकिन जब वहा थोड़ी भी बूढ़ी या काम करने लायक नहीं होती तो उन्ही बेटों द्वारा दादी को अनाथ आश्रम में छोड़ दिया जाता हैं या उन पर ध्यान नहीं दिया जाता इस कारण बच्चों को अपनी मानसिकता को और नजरिए को भी बदलने की जरूरत हैं क्योंकि जो आज तुम अपने माता पिता के साथ कर रहे हों संभव हैं की तुम्हारे बच्चें भी आगे चल के तुम्हारे साथ वैसा ही बर्ताव करें।
दादी क्या होती हैं ये उनसे पूछिए जिनकी दादी नहीं हैं दादी के ना होने पर एक पल तो ऐसा लगता हैं जैसे ईश्वर ने हमसे हमारी दुनियां ही छीन ली हों और आगे से गलती पर समझाने वाला और प्यार करने कौन होगा सोचकर रोना ही आ जाता हैं इसलिए जीवन में किसी का सम्मान करें या ना करें पर दादी का सम्मान जरूर करें।