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23 Jan 2017 · 1 min read

“पोरस”

“पोरस”रो नयी पीढ़ी शायद नहीं जानती,जिसने सिकंदर जैसे योद्धा का न केवल सामना किया अपितु हार के बावजूद उसकी आँखो में आँखे डाल कर उससे बराबरी का हक़ लेने में सफल रहा;एसे वीर को नमन करती कविता आपको भी प्रेरित करती है बराबरी का अधिकार पाने को:-
————————-
“पोरस”
————————-
जानता हूँ ,
सिकंदर हो तुम;
तुम अपने जहाँ के।
पर हूँ ,
पोरस मैं भी;
जीवन में अपने;
छोड़ूंगा नहीं,
युद्ध का मैदान,
अंत तक,
जब तक,
खड़ा न हो जाऊँ ;
सामने तुम्हारे,
बराबर बराबर
————————-
राजेश”ललित”शर्मा

Language: Hindi
5 Likes · 1 Comment · 428 Views
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