शम्मा ए इश्क़।
पेश है पूरी ग़ज़ल…
अहसास बनकर उसके दिलमें उतरते है,,,
बनकर खुशबू फूल की उसमें महकते है!!1!!
उसकी सूरत-सीरत पे हर कोई मूरीद है,,,
यूं लगे तारे उसकी पेशानी पे चमकते हैं!!2!!
बनकर खुशी उसके चेहरे पे झलकते है,,,
रूह में उसकी बनके मोहब्बत उतरते है!!3!!
हर दिल अजीज़ बना है वो महफिल में,,,
बनकर अरमां उसके दिल में मचलते है!!4!!
चलो खुदा की आयतों सा उसे पढ़ते है,,,
कुरां सा उसको दिल में हिफ्ज़ करते है!!5!!
जमीं पर जो हूर ए जन्नत सा लगता है,,,
नाज़ुक है बड़ा उसको फूल सा रखते है!!6!!
शम्मा ए इश्क में ये परवाने फना होते है,,,
किसी की ना गलती ये खुद ही जलते है!!7!!
इल्ज़ाम ना दो शम्मा को इनके मरने का,,,
आशिक दास्तां ए इश्क यूं ही लिखते है!!8!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ