“पेपर लीक”
“बड़ा सहज लगता है दुनिया को ,
जब खबर छपती “की पेपर लीक हो गया “
कमी रह गई शायद तक़दीर की ,
और अभ्यर्थी की मेहनत “द्रौपदी का चीर “हो गया l
एक थकावट भरे संघर्ष से लड़ कर भी ,
अपना संपूर्ण न्यौछावर कर भी ,
अनेक ताने सुन कर भी ,
समर्पित मेहनत कर भी l
मंसूबे उसके डूब जाते ,
सपने टूट जाते ,
अपने रुठ जाते ,
ख़ुशियाँ दूर हो जाती ,
हिम्मत हार जाती ,
आशाए तड़प जाती l
बड़ा दर्द होता ,
बड़ी तकलीफ़ होती ,
जब ख़बर छपती की पेपर लीक हो गया ,
कमी रही प्रशासन की ,
और एक वर्ष अभ्यर्थी का , छिन छिन हो गया l
नीरज कुमार सोनी
“जय श्री महाकाल”