पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
कोलाहल में दब गया,दिव्य सृष्टि का मौन।।
जीव जगत बेबस हुआ,नियम हो गए गौन।
कुदरत अश्कों में ढली, मौज विचारे कौन!!
“मौज”
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
कोलाहल में दब गया,दिव्य सृष्टि का मौन।।
जीव जगत बेबस हुआ,नियम हो गए गौन।
कुदरत अश्कों में ढली, मौज विचारे कौन!!
“मौज”