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27 May 2024 · 1 min read

पेड़ों ने जगह दी ना शाख़ों पे नशेमन है

पेड़ों ने जगह दी ना शाख़ों पे नशेमन है
टूटा हुआ पत्ता हूँ उड़ जाऊँ या गिर जाऊँ
पत्थर हूँ रास्ते का शम्मा हूँ अंधेरे की
ठोकर से बिखर जाऊँ रातों में पिघल जाऊँ
तन्हाई की ख़ामोशी जज़्बात की सरगोशी
कुछ पल को संभल जाऊँ एक पल को मचल जाऊँ
मुश्किल समय लम्बा था जिसकी हमें आदत थी
अब बदले समय के संग झट कैसे बदल जाऊँ
शोला हूँ चाँदनी हूँ छाया हूँ रोशनी हूँ
जब दिन खिले छुप जाऊँ जब रात हो जल जाऊँ
कंचन

Language: Hindi
31 Views
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