पृथ्वी दिवस
मुझे ना काटो निर्ममता से, मैं तेरा जीवन का दाता हूं छहों ऋतु चलतीं हैं मुझसे,मौसम का भाग्य विधाता हूं प्राणवायु देता हूं तुमको, सांसे मैं ही चलाता हूं
जीवन सारा तुम्हें समर्पित, तेरा भाग विधाता हूं
जीवन भर देता हूं तुमको, बदले में बलाएं लेता हूं
मुझे ना काटो निर्ममता से, मैं तेरा जीवन का दाता हूं मेरे कारण धरती पर, पर्यावरण का चक्र यह चलता है आकर्षित करता हूं मेघों को, पानी यहां बरसता है अस्तित्व हूं हर जीव जंतु का, जीवन मुझ में बसता है गर्मी सर्दी वर्षा सह कर, फल फूल दवाई देता हूं
मुझे ना काटो निर्मलता से मैं तेरे जीवन का दाता हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी