#पूर्वा-बयार #
देखो-रे-देखो,
पूर्वा -बयार है आयो।
संग लायो,
काले मेघन के सायो।।
उमड़-घुमड़ बदरा
बरसन को आतूर,
तनिक धीरज धरो।
चिलचिलाती धूप कूँ ढ़ाँकत-ढ़ाँकत,
तीखा निदाघ देखो काफूर कियो।
शीतलता ही शीतलता लायो।
देखो-रे-देखो,
पूर्वा -बयार है आयो।।
ढ़ोलिकया बजाओ रे मृदंग बजाओ,
रे बजाओ रे मांदर।
बूँदन को छक खेलो,
फैलाओ रे चादर।
हवा मे पुष्प उड़ाओ,
आयो रे आयो सावन- भादर।
गाओ रे गाओ मेघ-मल्हार,
एक दुजन को देवो रे आदर।
आज तो पुरा मन आनन्दित भयो।
देखो-रे-देखो,
पूर्वा -बयार है आयो।।
हरियाली छाई खेतन मे,
फसल म्हारो लहलहायो।
बूँदन के मद मे,
मन बावला फुदक-फुदक नाचे।
घिर-घिर गिरे जल तन मे रे,
काला-कलूटा देहिया के मैल धुल गयो।
देखो-रे-देखो,
पूर्वा -बयार है आयो।।
मलंग भया मन आज खूब.उछल-कूदो रे।
किसन-कन्हैया बनके,
गोपियन के संग झूमो।
वृक्षन की डारी धरी,
मधूर ध्वनियों में बाँसूरीया फूँको।
गैयन के संग वन-वन चलो,
सावन की मस्ती मेंं मतवाला बन ,
नृत्य पहाडिया करो,साज़ धरो।
बूँदन की लयकारी वीच,
सखियन संग रास रचो,आयो रे सावन आयो।
देखो-रे-देखो,
पूर्वा -बयार है आयो।।
मदिरा लाओ,जाम छलकाओ रे।
ओ भायो किसान दादा,
आज दिन आयो खासमखास,
पूरा भयो मन्नत, फसलन को नशीबो जन्नत।
बैल नारो रे,हल धरो रे हलधर।
सारे पशु-पक्षी झूमत-गाए,
नाचत फिरयं देखो जलचर।
मयूरा पंख पसारे नाचन लागे।
हीर-राँँझा गाच्छ तरे, प्रीत करे।
सावन राजा के स्वागत मे,
आज झूमो-नाचो-गाओ रे,भायो रे भायो।।
देखो-रे-देखो,
पूर्वा -बयार है आयो।।
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स्वरचित कवि – नागेन्द्र नाथ महतो
(कवि, गीतकार, संगीतकार व गायक)
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