पुस्तक अनमोल वस्तु है
मुझे न चाहिए सोना ,चांदी न चाहिए जवाहरात।
मुझे चाहिए पुस्तकों से भरा हुआ संसार।।
पुस्तक ही मेरा धन है ,पुस्तक ही मेरा जीवन है।
भागवत , पुराण, मानस, गीता पुस्तक परम पुनीता हैं।।
जिनके अध्ययन से नर पाए सीधे मोक्ष का द्वार ।
मुझे चाहिए पुस्तकों से भरा हुआ संसार।।
पुस्तक ही मेरा आचरण है,पुस्तक ही सद्भाव।
पुस्तक ही मेरी दिनचर्या ,पुस्तक ही स्वभाव।।
पुस्तक से ही यज्ञ हवन होवे,मनोकामना पूरण होवे।
बचपन से वृद्धावस्था तक मानव दिन प्रतिदिन कुछ सीखे ।।
मुझे न चाहिए इत्र की महक , न ही सुंदर रूप।
गुणों से भरा व्यक्तित्व चाहिए सरल , स्वच्छ, उज्ज्वल ।।
अनामिका तिवारी “अन्नपूर्णा “✍️✍️