पुलवामा हमला…!
बुझ गयी वो ज्योत,
जो तुम्हारी रक्षा के लिए
माँ ने जलाई थी,
अंदर तक झंझोर कर रख दिया मुझे
जब सुबह तुम्हारा खत नहीं बल्कि
दरवाज़े पर तिरंगे से लिपट कर मेरी जान आयी थी,
कैसे कहेंगे पापा से
उनका बेटा न फिर कभी लौट कर आएगा,
बाबा का तो ये सुन कर ही हौसला डगमगा जाएगा,
बहन ने कब से थाल सजाये रखी थी
भाई आएगा मेरा लौट कर बस यही उम्मीद बनाए रखी थी,
भाई ने तो तुम्हे इस बार स्टेशन से लेकर आने की
ज़िद लगाये रखी थी,
तुम नहीं आये
घर तुम्हारी ये आज वर्दी आई है,
दे रही है खबर कैसे तुमने,
अपने वतन के लिए
अपनी जान गवाई है,
उन गद्दारों ने तो पीछे से वार किया था
तुमने तो भारत माता पर कोई आंच न आये
इसलिए खुद को बॉर्डर पर तैनात किया था…!
~ गरिमा प्रसाद 🥀