पुरखों का संदेश
प्यास के मारे मर गए हम तो, अब पानी हमें पिलाते हैं
मरे भूख के मारे हम, अब नाना पकवान खिलाते हैं
नहीं पूछते थे जिंदे में, अब आंसू बहुत बहाते हैं
पितरों में कर दिया है शामिल, कौओं में हमें बुलाते हैं
जिंदे में ना इलाज कराया, मरने पर जश्न मनाया
अच्छे मर गए बुड्ढे बुढ़िया, स्मृति में गिफ्ट बंटाया
डर के मारे पुरखों के वे, घर में श्राद्ध कराते हैं
कई तो हम से पिंड छुड़ाने, गया पटक आते हैं
मरने पर पूछो न पूछो, जीवन में दुख न पहुंचाना
संदेश यही है पितरों का, बच्चों भूल न जाना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी