पितृ दिवस
पितृ दिवस
पितृ दिवस हम सदा मनाएँ।
पितृ वचन को सहज सजाएँ।।
पिता खड़े हैं कदम कदम पर।
शिक्षा देते हाथ पकड़ कर।।
पिता सजाते रहते जीवन।
खुशियों से भरते मन उपवन।।
रक्षक शिक्षक पालनकर्ता।
संरक्षक सेवक दुखहर्ता ।।
देत स्नेह मन पोषण करते।
बालक हेतु कष्ट सब सहते।।
कौन पिता से मुक्त हुआ है?
योग्य पिता पा योग्य हुआ है??
पिता नहीं तो मन उदास है।
पिता संग तो नित उजास है।।
पिता बिना यह जीवन भारी।
पिता पास तो दुनिया प्यारी।।
अपना अनुभव सदा बताते।
जीवन का प्रिय मंत्र पढ़ाते।।
पिता सर्व देव के सूचक।
मधु भावों के प्रिय संपूरक।।
पूजनीय हैं पिता हमारे।
वंदनीय जगती में न्यारे।।
पूज्य पिता के चरण पखारो।
अपना जीवन सतत सँवारो।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।