एकतरफ़ा इश्क
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प्यार हमने किया प्यार तुमने किया
फिर तड़पना हमारे मुक्क़द्दर में क्यों
तुम रहे लूटते महफ़िलो को मज़े
और हम डूबे ग़म के समंदर में क्यों
प्यार हमने किया —-
मै तो हर एक सितम, हस के सहता रहा
इश्क़ तुमसे है, तुमसे है कहता रहा
तुमने दिल पे चलाये वो खंज़र थे क्यों
प्यार हमने किया ——
दिन भी गुज़रे हमारे तो तन्हाई में
रातें भी मैंने काटी है रुसवाई में
तुमको चलना नहीं था सफर में अगर
फिर दिखाये मोहब्बत के मंज़र थे क्यो
प्यार हमने किया ——
कहानी हमारी अधूरी राही
पास होके भी तुमसे क्यों दूर रही
दूर रहते तो शायद बड़ा अच्छा था
तुम बसे मेरे दिल के अंदर थे क्यो
प्यार हमने किया ——