पितृपक्ष महालय पर्व
पितृपक्ष का अंतिम दिन है, पितरों की आज विदाई है
पितृ विसर्जनी अमावस्या, महालय की घड़ी आई है
महाविष्णु है आत्मा सर्जक, ब्रह्मा ने सृष्टि रचाई है
आत्मा है अंश विष्णु का, जन्म और मृत्यु बनाई है
कर्मानुसार गति जीवन की, सब भोग भोगने आते हैं
अपने अपने कर्म भोग सब,
महालय में विलीन हो जाते हैं
लोक और परलोक के बीच, कई लोक आते हैं
अपने अपने कर्म भोगने, सब उन लोकों में जाते हैं
स्वर्ग नर्क और पितृलोक, शिव विष्णु और ब्रह्मलोक
मृत्युलोक धरती पर है, हैं सूक्ष्म और पाताल लोक
आना-जाना नियम सृष्टि का,
सब संसार में आते जाते हैं
आत्माओं का स्रोत एक है, महालय में लय हो जाते हैं
पितृ पर्व का एक-एक दिन, पवित्र यह तीर्थ समान है
देव पूजन से भी श्रेष्ठ है, पितृ तर्पण बड़ा महान है
पितृ देव की पूजन से,
सुख समृद्धि लाभ गौरव यश मिलता है
श्रद्धा से कृतज्ञ रहो, यह कर्म सदा ही फलता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी