पिता
दायित्वों में तुम्हारी भूमिका विराट,
परिवार के हो तुम चमकदार ललाट।
हर कदम पर मिलता सहारा तुम्हारा,
धैर्य से है परिपूर्ण जीवन तुम्हारा।
धार-मझधार से तुमने लड़ना सिखाया,
जीवन के गीत को गुनगुनाना सिखाया।
न जीते हो कभी तुम स्वयं के लिए,
संघर्ष करते हो सदा तुम हमारे लिए।
संघर्ष, हौसला व हिम्मत के परिचायक,
हमारे पिता हमारे प्रगति में सहायक ।
।रुचि दूबे।
भदोही उत्तर प्रदेश।