पिता
पिता
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पिता नहीं परमेश्वर कहो जीवन का आधार है जो !
शाखा फूल पत्तिया हम, जीवन का करतार है वो !!
दुःख में सुख की छाया बन कष्टो का करे निवारण जो !
खुद तपस में झुलसता,बन सुख का असली कारक वो !!
बचपन में घोडा बन जाता, बिठा पीठ हमे सैर कराता जो !
उठ-उठ के जब गिरते हम, हाथ पकड़ चलना सिखाता वो !!
बेटी का बाबुल है और पुत्र के लिए ब्रह्मास्त्र है जो !
सुहागिन का श्रृंगार बने,मैया कहे मेरा भरतार है वो !!
तपते सूरज की गर्मी में संग संग चलता जाता जो !
छुपा अपने बदन की ओट में उस से सदा बचता वो !!
वर्षा से टपके छत, रातभर जाग मेरे लिए मुस्काता जो !
टूटी झोपडी, भाड़े की खोली में चैन की नींद सुलाता वो !!
जाड़े की कड़क सर्दी में अपनी फटी चादर में छुपता जो !
मौसम के संग रुत सजाता है, हर हाल में हमे बचता वो !!
प्रेम का सागर, जीवन रक्षक, हमारे लिए भगवान है जो !
जीवन अर्पण कर दे सारा, फिर भी न सुख बोध पाता वो !!
जीवन प्रयन्त हमारे लिए नित-२ असीम कष्ट उठाता जो !
वृद्धावस्था में फिर क्यों,हमारी एक झलक को तरसता वो !!
हम उसके चरणो की धूलि, जन्म का सूत्रधार है जो !
उनके सदैव ऋणी रहेंगे, हर घर का सुख संसार है वो !!
जन्म जन्म बलिहारी जाऊं, में कैसे कर्ज से मुक्ति पाऊं !
शीश नवाता हूँ एक बार, बदले में कोटि आशीष पा जाऊं !!
कब समझोगे कीमत उनकी, जीवन में अनमोल है जो !
बेसहारा-अनाथ है इंसान जिनके शीर्ष उनका हाथ न हो !!
पिता नहीं परमेश्वर कहो जीवन का आधार है जो !
शाखा, फूल, पत्तिया हम, जीवन का करतार है वो !!
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!____डी. के. निवातिया