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27 Apr 2018 · 1 min read

पिता

रिश्तो का मिठास सबन्ध है
पिता परिवार का गृह बंधन है ।

परिवार की हिम्मत और आस है
पिता एक उम्मीद और विश्वास है ।

पिता नारियल जैसा कठोर और अंदर से नर्म है
ह्रदय में दफन और अंदर से मर्म है ।

बचपन की गलियों में याद दिलाने वाला उजला है
बुढ़ापे में गीत गुंजन वाला तबला है ।

पिता जिम्दारियों से लदी गाड़ी का सारथी है ,,
सबको बराबर हक मिले वो महारथी है ।

रात दिन एक करने का कमरकस फटा बनियान है
बच्चों का विकास प्रतिदिन यही उसका ध्यान है

संघर्षों के मैदान में आंधियों में खड़े हौसलों की दीवार है ,,
वो ताबड़तोड़ परेशानियों से लड़ने की दो धारी तलवार है ।

पिता जीवन के खेत में चलने वाला हल है ,,,
जिंदगी के दरमियान में सबल है ।

बचपनापन की चादर में धूम मचाने वाला वो एक खिलौना है
नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछोना है ।

पिता दाल आटा खून पसीने की जाली है
सब सदस्य को सुख चैन का भोजन मिले वो एक थाली है ।

पिता माँ के चाँद का सुहागन मुखड़ा है ,
हंसी ख़ुशी खूबसूरत लम्हे का टुकड़ा है ।

पालकर एक कली को देता जीवनदान है ,,

बढ़ा कर ,भारी मन से देता
दुसरे की खुशीयो का कन्यादान है ।

✍प्रवीण शर्मा ताल
स्वरचित कापीराइट कविता
त्तहसील ताल जिला रतलाम
दिनांक 26 /04/2018

Language: Hindi
426 Views
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