पिता
जिंदगी की अपनी हर तस्वीर बदलते देखी है।
पिता के हुनर से अपनी तकदीर बदलते देखी है।।
परिवार की खातिर तपता रहा वो धूप में।
दिखता है खुदा मुझको अपने पिता के रूप में।।
पहली कदम ताल मैंने ऊंगली पकड़ के देखी है।
दिल की हसरतों को दफ्न करता रहा जिंदगी भर।।
परवरिश के लिए वो मेरी खटता रहा जिंदगी भर।
मेहनत की उसके माथे पर बूंदे चमकते देखी हैं।।
भूखा ना सोए कोई बदन पे कपड़े हों सभी के।
खुशियां भी कम ना हों शिक्षा भी मिले सभी को।।
जद्दोजहद में उसकी मैने ता उम्र कटते देखी है।
बेटी हुई सयानी करने हैं उसके पीले हाथ।।
छत भी अभी है बाकी करने हैं कितने काम।
मेरी फिक्र में उसने कितनी रातें जग के देखी हैं।।
असमय हुआ वो बूढ़ा जिंदगी की कश्मकश में।
हिम्मत नहीं है बाकी अब ढलती हुई उमर में।।
उम्मीद भरी निगाहें मुझ पर टिकते हुई देखी हैं।
तेरा कर्ज जन्म दाता उतारा ना जायेगा उम्र भर।।
तुझे देवता बनाकर पूजा करूंगा मैं उम्र भर।
तेरी दुआ से मैने किस्मत बदल के देखी है।
उमेश मेहरा (शिक्षक)
गाडरवारा जिला नरसिंहपुर ( म. प्र.)
9479611151