पिता
क्या है पिता, कौन है पिता,
क्या, सिर्फ वह एक इंसान है।?
नहीं, पिता सिर्फ एक इंसान नहीं,
वरन्, पिता जीवन एक संघर्ष की पहचान है।
पिता है तो सपने है, पिता है तो अपने हैं,
पिता है तो खिलौना है, पिता है तो बाहों का बिछौना है।
पिता है तो मां का श्रृंगार है, पिता है तो सुंदर संसार है,
पिता है तो मन की जीत है, पिता है तो दुनिया की प्रित है।
पिता है तो मेले है, पिता है तो अरमानों के रेले है,
पिता है तो होंठों पे हंसी है, पिता है तो जैसे हर खुशी है।
पिता है तो सपने सुहाने है, पिता है तो घुड़सवारी के बहाने है,
पिता है तो मन को सुकून, क़रार है, पिता है तो हर दिन त्योहार है।
कहां से आयेंगे, कैसे कर पायेंगे, ये तो पता नहीं,
पर, पिता है तो सारे संसार की खुशीयां हमारी है,
पिता है तो सारी दुनिया बंद मुट्ठी में हमारी है।
आराध्या राज (बोकारो)