पिता से हैं खुशियां
पिता से हैं खुशियां
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बचपन में जब में रोती थी,
मुझको खुश करते पापा थे
जिद करती पापा से में जब,
वही मुझे समझाते थे।
मेरे जीवन में खुशियां,
पापा ही भर जाते थे!
मेरे मन की सब सुनते,
अपनी कभी न कहते थे।।
मेरे लिए सबसे लड़ जाते,
मुझको कभी न डांटे वो–
मेरी रानी बेटी कह सदा पुकारते।।
मेरे घर की रौनक हो तुम,
तुमसे है घर में खुशहाली,
कहते घर की लक्ष्मी हो तुम!!!!
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर उ०प्र०