पिता समान हमारी माता।
पिता के स्वर्गमन के पश्चात ,
हमारी माता ने पिता का रूप धरा ।
हाउस वाइफ से वर्किंग वुमन बन,
हमको और घर को उन्होंने सभाला ।
कम पड़ी नौकरी की तनख्वाह ,
तो दर्जी का काम कर बच्चों का पालन किया ।
पुत्र हो या पुत्री तीनो को उच्च शिक्षा प्रदान की,
और उनको आत्म निर्भर बनाया ।
आत्म निर्भर बनाने के साथ ,
संस्कारों और मानवता का पाठ पढ़ाया।
हम में आत्म विश्वास जगाकर ,
जीवन संघर्षों से लड़ना भी सिखाया ।
हर दुख सुख में सहभागी बन ,
हर प्रकार के कष्टों से उबारा ।
अपने आंसुओं को पोंछकर ,
हमारे आंसुओं को पोंछा ।
अपने जीवन के एकांकी पन को,
अपनी व्यस्तता से दूर किया ।
यूं कहो की उन्होंने दिल पर पत्थर ,
रखकर पति के सारे सपनो और
फर्जों को पूरा किया ।
उनकी सारी जिम्मेदारियों का बोझ,
अपने कंधों पर उठाया ।
हमारी माता का हमसे नहीं मात्र एक नाता,
हमारी माता हमारी घनिष्ठ मित्र , मार्ग दर्शक ,
गुरु , हम दर्द ,हमराज , हमराह हैं।
हमारी माता हमारी पिता और माता दोनो है।
हम ईश्वर से सदा उनके उत्कृष्ठ स्वास्थ्य और
लंबी उम्र की प्रार्थना करते हैं।
क्योंकि हमारी माता हमारी सब कुछ है।
हमारा जीवन है।
हमें पिता के असमय साथ छूटने का दुख ,
तो है । मगर संताप नहीं ।
क्योंकि हम भाग्य शाली है ।
हमारे साथ हमारी प्यारी मां है।
माता को कोटि कोटि प्रणाम !!