पिता श्रेष्ठ है इस दुनियां में जीवन देने वाला है
परमपिता से बढ़कर जिसने मुझको सदा सम्हाला है।
पिता श्रेष्ठ है इस दुनिया में जीवन देने वाला है।।
जन्म दिया है रूप रंग दे जिसने हमें सजाया।
गोद उठाया पकड़ उंगलियाँ चलना हमें सिखाया।
शिक्षा-दीक्षा ज्ञान सभी दे हमको मन से पाला है।
पिता श्रेष्ठ है इस दुनिया में जीवन देने वाला है।।
कठिन समय जब भी आया मुश्किल ने मुझको घेरा।
खड़ा मिला पीछे वो हर पल कान्धा पकड़े मेरा।
मुश्किल होंगी उन्हें मगर नाजों से मुझको पाला है।
पिता श्रेष्ठ है इस दुनिया में जीवन देने वाला है।।
मंजिल पाकर आगे बढ़ता जलती दुनिया सारी।
खुश होता वो पिता तरक्की हम करते जब भारी।
वही सिखाता मेहनत कर लो वरना जीवन काला है।
पिता श्रेष्ठ है इस दुनिया में जीवन देने वाला है।।
भाई बहन और परिजन का ध्यान पिता ही रखते।
भूखे ही रह जाते हैं वो बालभोग सब चखते।
सबको तृप्त कर रहा पहले पाया बाद निवाला है।
पिता श्रेष्ठ है इस दुनिया में जीवन देने वाला है।।
कितने कष्टों से पाला है इसका पता लगाओ।
अरमानों को घोटा होगा दिल की जांच कराओ।
बीमारी में रोया होगा आंसू गुम कर डाला है।
पिता श्रेष्ठ है इस दुनिया में जीवन देने वाला है।।
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सतीश मिश्र ‘अचूक’
आशुकवि व पत्रकार
पंकज कॉलोनी गली नम्बर 10 पूरनपुर जनपद पीलीभीत।