पिता भी चाहने वाला है (गीत)
सर पर बोझा लेकर जिसने, अपना परिवार सँभाला है।
बच्चों को माँ के जैसा ही, पिता भी चाहने वाला है।
सुबह शाम नित काम करें वो,समय नहीं दे पाता क्षण भर।
कभी कभी भूखा भी रहता, मिलता अन्न न उसको कण भर।
बच्चों के सपनो को ऊँची, ख़ुद उड़ान देने वाला है।
बच्चों को माँ के जैसा ही, पिता भी चाहने वाला है।
ख़ुद बुखार में तपता रहता, काढ़ा पीकर जी लेता है
हो बुखार जो बच्चों को तो, जब्र दवा उनको देता है।
ग़म हो चाहे दिल में कितना, बच्चों को हँस कर पाला है।
बच्चों को माँ के जैसा ही, पिता भी चाहने वाला है।
सख़्ती से चाहे कितना ही, शासन बच्चों पर करता है।
मगर किसी कोने में दिल के,प्रेम पिता भी कुछ भरता है।
बड़ा खज़ाना छुपा पिता में, आगे उसके बस जाला है।
बच्चों को माँ के जैसा ही, पिता भी चाहने वाला है।
समझ नही पाते हम सब तो, नही पिता क्यों प्रेम दिखाता
क्यों कठोर होकर रहता है,प्रेम कहाँ उनका छुप जाता
लेकिन ये मालूम हमें वो, प्रेम भरा रस का प्याला है।
बच्चों को माँ के जैसा ही, पिता भी चाहने वाला है।