पिता जी
भीगता हूँ,
सूखता हूँ,
ठिठुरता हूँ ,
अकड़ता हूँ,
पिता के जोर पर,
गिरते हुए भी,
फिर संभलता हूँ ।।
हो तुम चीज क्या,
इन्सान हो या
कोई मौसम हो,
मैं जिस मौसम
की चाहत हो,
उसी मौसम में
पलता हूँ ।।
@ नील पदम्
भीगता हूँ,
सूखता हूँ,
ठिठुरता हूँ ,
अकड़ता हूँ,
पिता के जोर पर,
गिरते हुए भी,
फिर संभलता हूँ ।।
हो तुम चीज क्या,
इन्सान हो या
कोई मौसम हो,
मैं जिस मौसम
की चाहत हो,
उसी मौसम में
पलता हूँ ।।
@ नील पदम्