पिता की छवि
इस धरती पर
न जाने कितने बीते पिताओं की
कितनी कितनी छवियाँ शेष होंगी
गिनती के बाहर होंगी अनगिन होंगी
स्थिर छवियाँ होंगी
वीडियो में सवाक और चलायमान
छवियाँ होंगी
जिनसे उनकी बिछुड़ी संतानें
जीवन में आ रूबरू हो सकती होंगी
दुःख सुख अपना बतिया पाती होंगी
पर मेरे पिता की
कोई छवि नहीं कहीं अब
माँ भी अपने अन्तस् में लिए
गईं कबके गुजर
अब पिता की छिन्न छवि
मेरा गुलाम बन गई है
पिता की मटमैली धूमिल छवि
केवल मेरे अंतस में कैद जो है।