पिता का सपना
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पिता चाहते है कि समाज सक्षम हो।
समाज में हर एक बच्ची शिक्षित हो।।१।।
मैं! अपने प्यारे पिता की वागीशा हूॅं।
मैं! माता-पिता की बड़ी बालिका हूॅं।।२।।
मेरी हार्दिक इच्छा है- शिक्षिका बनू।
बड़ी होके मैं! ‘समाज-नायिका’ बनू।।३।।
बड़ी होके- समाज सुधारक बनना है।
पिता की चाहत! मुझे- पूर्ण करना है।।४।।
सावित्रीबाई फुले जैसी बनना है मुझे।
समाज में ज्ञान-ज्योत जलाना है मुझे।।५।।
समाज में कोई शिक्षा से वंचित ना हो।
समाज में कोई लड़की अनपढ़ ना हो।।६।।
यहीं बात- समाज को बतलाना है मुझे।
समाज में “शिक्षा-क्रांति” लाना है मुझे।।७।।
हर लड़की के माता-पिता से विनती है।
लड़की को पढ़ाओं, यहीं मेरी विनती है।।८।।
मेरे पिता ने- जो संस्कार दिया है मुझे।
बड़ी होके- समाज सेवा करना है मुझे।।९।।
पिता का सपना! साकार करना है मुझे।
लक्ष्य तो एक दिन! जरूर पाना है मुझे।।१०।।
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रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल==
===*उज्जैन*{मध्यप्रदेश}*=====
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