पिता का दर्द
एक बेटी के लिए पिता सब कुछ होता है और एक पिता के लिए बेटी उसका दिल। जिसे पाने पर सबसे बड़ी खुशी मिलती है और जिससे बिछड़ने पर सबसे बड़ा दर्द। मेरी कविता “पिता का दर्द” लिख भले मै रही हूँ पर वह एहसास ,वह दर्द ,वह भाव मेरे पापा के है। जिन्होंने मुझे बेइंतिहा प्यार दिया है। –
जन्म हुआ था जब मेरा
सबसे ज्यादा पापा थे खुश ।
ऐसा बताते है हमें
घर के एक-एक सदस्य ।
सब रिश्तेदारों को पापा
खुश होकर बता रहे थे।
मेरे घर लक्ष्मी आई है
सबसे यह खुशी जता रहे थे।
सबको मिठाई लेकर अपने से
सबका आप मुँह मिठा करा रहे थे।
कभी किसी चीज की कमी
न बचपन में होने दिया था।
और आज भी तो पापा आप मेरे
हर जरूरत का ख्याल रखते है।
किसी भी चीज की मुझे कमी न हो,
आज भी तो मेरे पापा जरूरत से
ज्यादा चिंता करते है।
नाजों से पाला था मुझको
मेरे सारे सपनो को पुरा किया था।
भाइयों से भी ज्यादा कही
आपने मुझसे प्यार किया था।
पर मै जानती हूँ पापा
मुझे बड़े होते देखकर
आप खुशी तो जता रहे थे।
पर मन ही मन मुझसे दूर
होने के ख्याल से डर रहे थे।
कल जब शादी होकर यह
हमसे दूर चली जाएगी।
यह सोचकर आप कितना घबरा रहे थे।
अपने मन के डर को
हम सबसे आप छुपा रहे थे।
आखिर वह समय भी आया
जब मेरे लिए शादी का रिश्ता आया।
सब कुछ देख-सुन कर
आपने रिशते के लिए
हामी भर दी थी।
पर मुझसे दूर हो जाने का
डर आपको सता रहा था।
फिर भी पापा आपने शादी का
सारा रस्म खुशी- खुशी निभाया था।
कन्यादान खुद से नही कर
बुआ से करवाया था।
सारे बारतियों के सम्मान में
आपने कोई कसर न छोड़ा था।
कोई बिटियाँ को ससुराल में
कुछ न कहें
इसलिए आपने अपना सर्वस्य
हम पर लुटाया था।
फिर आई मेरी विदाई की घड़ी
सब रो रहे थे चारों तरफ।
मुझसे मिलवाने के लिए
लोग आपको ढूँढ रहे थे,
और आप थे पापा जो
घर के एक कोने में छिपकर
रो रहे थे।
मम्मी मुझे मिलवाने के लिए
आपके पास ला रही थी
और आप थे जो एक हाथ से
ना का इशारा करते हुए
पाँव मेरे तरफ बढ़ा रहे थे।
सच था न पापा आप अपना दर्द
हम सब से छुपा रहे थे।
सच तो यही था पापा
आप अपनी इस प्यारी बेटी को
विदा करने की हिम्मत नहीं
जुटा पा रहे थे।
जिसे नाजों से पाला था।
जिसकी हँसी में हँसा था।
जिसके सामने कभी दर्द
को न आने दिया था।
सच तो यह था पापा
आज उससे बिछड़ने के
दर्द को आप सह नही पा रहे थे।
और न ही मुझे आप दर्द में
देख पा रहे थे।
वह आज आपके घर से चली जाएगी।
यह सोचकर आप घबरा रहे थे।
आप अपना दर्द किसी के
सामने लाना नही चाह रहे थे।
इसलिए आप हम सबसे
छुपकर रोए जा रहे थे।
पापा मुझे आज भी याद है
आपके चेहरे का वह दर्द
जिसे आप मुझसे छुपा रहे थे,
आज भी तो पापा हर सुबह
जब आपका फोन आता है।
आपके दर्द का एहसास
आपके बातों मे आ जाता है।
जब आप कहते हो सब कुछ
ठीक है न।
और जब तक मेरे आवाज में
खुशी न झलक जाए ।
कहा आपके दिल को सकून मिलता है।
~अनामिका