पिता।
बहुत पहले श्रीमद्भागवत सुनते समय वाचक के श्रीमुख से एक कथा सुनी थी कि एक जगह एक कुएं से पानी निकल रहा था और वह चार कुओं को लबाबब भर रहा था।
उस जगह से कुछ दूर आगे जाने पर दृश्य विपरीत था । चार कुओं से पानी निकल रहा था पर वह एक कुएं को भी पर्याप्त रूप से पानी नहीं दे पा रहे थे।
यह दृश्य देखकर एक व्यक्ति ने साथ चल रहे एक ज्ञानी पुरुष से पूछा कि ये कैसा अचरज है। तब ज्ञानी पुरूष ने शंका समाधान करते हुए कहा कि ये कलयुग का दृश्य है।
पहला कुंआ पिता है जो अपनी कमाई से अपने चार पुत्रों का भरण पोषण भली प्रकार से कर रहा है , और आगे वाले चारो कुएं पुत्र हैं जो चारों मिलकर भी पिता का भरण पोषण नहीं कर पा रहे।
ये होता है पिता। आकाश से ऊंचा । धरती से विशाल । सागर से गहरा ।