पिछले पन्ने भाग 2
गलती की सजा मिलने के अगले दिन ही इन बातों को भूल फिर कुछ ना कुछ ऐसा कर देते, जिससे स्कूल में शिक्षक द्वारा मार पड़नी तय रहती थी। एक बार मेरा एक चचेरा भाई आकाश जो हमारी क्लास में ही पढ़ता था। वह कद काठी में हम लोगों से लंबा था। उस पर गाॅंव के मेले में आए सिनेमा हॉल में देखी गई फिल्मों का और छुप छुप कर पढ़ी हुई फिल्मी पत्रिका मायापुरी, फिल्मी कलियां,फिल्मी दुनिया आदि का अच्छा खासा असर था। इसलिए लड़कियों से प्यार मोहब्बत की बातें उसकी समझ में बहुत कुछ आ रही थी। हमारी क्लास में भी सुंदर-सुंदर लड़कियाॅं पढ़ती थी और हमसे ऊपर वाली क्लास में भी। पता नहीं, क्यों हम सभी को उस उम्र में भी लड़कियों को निहारना बड़ा सुखद आनन्द देता था।अब लगता है कि विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण के भाव की सहज शुरुआत शायद बचपन में ही हो जाती है। आकाश के दिमाग में सेट था कि अगर किसी लड़की की मांग में कोई लड़का सिंदूर भर दे,तो उस लड़की से लड़का की शादी एकदम पक्की । यही सोचकर एक दिन वह स्कूल के पिछवाड़े में जाकर हमसे ऊपर वाली क्लास की खिड़की के पास खड़ा हो गया। जिस समय शिक्षक क्लास में नहीं थे, वह धीरे से खिड़की पर चढ़ा और खिड़की में हाथ फंसाकर ललित कला के लिए लाई गई लाल रंग उगने वाली रंगीन पेंसिल खिड़की के पास बैठी लड़की कोमल की मांग में तेजी से घसकर खिड़की से कुद कर चम्पत हो गया। अचानक पीछे से किए गए इस अप्रत्याशित हमले से लड़की डर गई और रोने लगी। पूरी क्लास में आकाश की इस करतूत से कोहराम मच गया। क्लास माॅनिटर ने दौड़कर हेड मास्टर साहब के पास लगे हाथ इसकी शिकायत भी कर दिया। आकाश प्रेम रस से सरोवार इस घटना को अंजाम देकर एक अज्ञात भय की आहट पाकर स्कूल से फरार हो चुका था। प्रेम के अतिरेक भाव से उत्पन्न कुछ देर पूर्व घटित घटना से प्रेम के चरम आनन्द की अनुभूति का भूत अब उसके तन बदन से सम्पूर्ण रुप से उतर चुका था। घटना के बाद उसकी समझ में आ गया था कि स्कूल में नहीं तो घर में निश्चित ही उसकी जमकर कुटाई होनी आज तय है। स्कूल के सभी शिक्षक भी इस मामले को गंभीरता से देख रहे थे कि अगर लड़की के घर तक यह बात पहुॅंच जाएगी, तो न जाने इसकी क्या प्रतिक्रिया होगी। सामाजिक तनाव तो होगा ही साथ ही स्कूल की बदनामी होगी वो अलग। शाम तक इस बात की खबर हमारे चाचाजी को भी हो गई थी। वह दरवाजे पर बैठकर बेसब्री से आकाश की प्रतीक्षा कर रहे थे। पता नहीं,कब आकाश पीछे के रास्ते से घर में घुस गया। चाची अर्थात आकाश की माॅं को भी इस बात का पता लग चुका था। आकाश को घर में देखते ही वह सोची कि वह स्वयं उसे दंड दे देगी, पर गलती से भी इसके बाप के सामने इसे नहीं पड़ने देगी। उन्हें उनके बाप का पागल वाले गुस्से का बढ़िया से पता था। संयोग से किसी के द्वारा चाचा जी को आकाश का ऑंगन में आने की बात के बारे में पता चल गई और उसके बाद आकाश की खूब धुलाई हुई। हम लोग भी छुप कर रोमांच से भरी इस घटना का अंजाम गली में खड़े होकर देख रहे थे,जैसे कि हम लोग बिल्कुल पाक साफ गंगा में धोये हैं। इस घटना के कई दिनों बाद तक आकाश को स्कूल नहीं भेजा गया। चाचा जी अंतिम फैसला लेते हुए बोले, इतना नालायक बेटा को अब आगे नहीं पढ़ाना है।बहुत पढ़ लिख लिया है।अब घर का काम धंधा करेगा। ज्यादा पढ़ लिख लेगा, तो इसी तरह खानदान का नाम उजागर करता फिरेगा और बाप दादा का नाम मिट्टी में मिलाकर ही दम छोड़ेगा।